न्यायालय आदेश की अवमानना पर गोपाल जाट को 1 माह का सिविल कारावास
8 सितंबर 2024, केकड़ी: अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या-2, प्रवीण कुमार वर्मा की अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में गोपाल जाट को न्यायालय के आदेश की अवमानना का दोषी पाते हुए 1 माह के सिविल कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला प्रार्थी शिशपाल जाट द्वारा दायर कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट (अवमानना) से संबंधित है, जिसमें प्रार्थी ने आरोप लगाया था कि गोपाल जाट ने न्यायालय के 19 जुलाई 2016 के आदेश की अवमानना की।
मामले के अनुसार, प्रार्थी शिशपाल जाट के पास केकड़ी तहसील के ग्राम मण्डा में पुश्तैनी कब्जे और स्वामित्व की कृषि भूमि है, जिसके खसरा नम्बर 38, 39, 40, 41, 550/851, और 558 हैं। इस भूमि को लेकर शिशपाल द्वारा विक्रय पत्र निरस्तीकरण और अस्थाई निषेधाज्ञा के प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन थे। 19 जुलाई 2016 को न्यायालय ने गोपाल जाट और अन्य संबंधित व्यक्तियों को उक्त भूमि का विक्रय या हस्तांतरण करने से रोकने का स्थगन आदेश जारी किया था। हालांकि, इस आदेश के बावजूद, गोपाल जाट ने 20 अक्टूबर 2021 को उक्त भूमि का 1/2 हिस्सा सुरेश और महेंद्र जाट के पक्ष में तहसीलदार और उपपंजीयक केकड़ी के समक्ष विक्रय पत्र पंजीकृत करवा दिया। यह न्यायालय के स्थगन आदेश की अवमानना मानी गई। प्रार्थी शिशपाल ने एडवोकेट विष्णु कुमार साहू के माध्यम से कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट का प्रार्थना पत्र दायर किया, जिसमें इस अवमानना के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
सुनवाई के दौरान, एडवोकेट विष्णु कुमार साहू द्वारा दिए गए तर्कों से सहमत होते हुए न्यायालय ने गोपाल जाट को आदेश की अवमानना का दोषी पाया। अदालत ने गोपाल जाट को 1 माह के सिविल कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला न्यायालय के आदेशों की अवमानना के खिलाफ एक सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि अदालत के आदेशों की अवहेलना किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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