अक्षय तृतीया पर शिवम वाटिका में धर्मसभा, संतों के सान्निध्य में प्रारंभ हुआ महामंडल विधान
केकड़ी- बालाचार्य निर्पुण नंदी महाराज बोहरा काॅलोनी स्थित शिवम वाटिका में आयोजित धर्म सभा में अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर अपने धर्मोपदेश में कहे कि अक्षय जिसका कभी भी क्षय नहीं हो और शुभ फलदाई है । उन्होंने भगवान आदिनाथ के अक्षय तृतीया पर प्रथम पारणा महोत्सव के अवसर इक्षु रस के द्वारा राजा श्रेयांश ने आहार दान देकर पुण्य फल को प्राप्त किया । दान सभी श्रेष्ठ है लेकिन साधु संतों की आहार क्रिया निर्विघ्न संपन्न करना श्रेष्ठ दान माना गया है ।
भगवान आदिनाथ के चरित्र पर वैराग्य प्रसंग और मानव जाति के उत्थान पर प्रभु द्वारा दिए गए संदेश पर प्रकाश डाला गया । धर्म सभा में आर्यिका स्वस्ति भूषण माताजी में कहा कि चार गति 84 लाख योनियों में मरकर मनुष्य गति को प्राप्त कर ली वह पुण्यशाली है । इस गति में मोक्ष, संयम, धर्म के प्रति ज्ञान को समझ पाना है । इंसान सबसे ज्यादा आसक्ति अपने शरीर के प्रति रखता है जबकि शरीर तो पुद्गल है शरीर और आत्मा भिन्न है आत्मा में रमण कर कायोत्सर्ग से समाधि अवस्था में पहुंचने पर किसी प्रकार का कष्ट नहीं उठा सकता है । धर्म की साधना इंसान को कभी वृद्ध नहीं करती है मनुष्य गति चिंतामणि रत्न है इसको भोग में नहीं खोना चाहिए बल्कि परमात्मा बनने की शक्ति बनाए रखनी चाहिए । अच्छे विचार अच्छे विनय भाव रखें ।
प्रातः जिनाभिषेक, शांतिधारा, जिनेंद्र अर्चना एवं अल्प धार्मिक क्रियाएं आर्यिका ससंघ के सानिध्य में संपन्न हुई तत्पश्चात् मुनि आर्यिका ससंघ के सानिध्य में श्री ऋषभदेव जिनालय से बैंड बाजे जुलूस के साथ घट यात्रा प्रारंभ हुई जिसमें महिलाओं द्वारा सिर पर मंगल कलश रखते हुए श्री नेमीनाथ मंदिर पहुंचकर यहां से श्रीजी को लेकर धर्म स्थल पर पहुंचकर समोशरण में विराजमान किया एवं अभिषेक एवं शांति धारा सौधर्म इन्द्र परिवार एवं इन्द्रो द्वारा भक्ति संगीत के साथ चर्तुविध संघ के सानिध्य में हुई ।
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