ईश्वर भक्ति, नारी सम्मान और अच्छे कर्म से ही मिलता है जीवन में सच्चा सुख: भवदेव शास्त्री जी
केकड़ी, 17 सितंबर- आर्य समाज केकड़ी के शताब्दी समारोह में आयोजित रामकथा के तृतीय दिवस में बोलते हुए भवदेव जी शास्त्री ने बताया कि जिस घर में नारी की पूजा होती है वन्हा देवता निवास करते हैं अर्थात उनके सब कार्य पूर्ण होते हैं जिन घरों में नारी की इज्जत नही होती उनके सब कार्य निष्फल हो जाते है । शास्त्री जी ने बताया कि विश्वामित्र जी जब श्रीराम व लक्ष्मण जी को अपने आश्रम में लेकर जाते है तो सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर संध्या करने के लिए कहते है ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ईश्वर का ध्यान करना चाहिए क्योंकि ईश्वर ने हमे सब कुछ दिया है तो हमारा दायित्व बनता है कि सुबह शाम ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए। ईश्वर कण कण में व्याप्त है उसे देखने के लिए मन की आंख चाहिए ।
श्रद्धावान लभ्यते ज्ञानम,, ज्ञान प्राप्त करने के लिए श्रद्धा का होना अति आवश्यक है श्रीराम द्वारा धनुष तोड़ने के उपरांत जब राजा जनक का दूत दशरथ के पास संदेश लेकर आता है तो दशरथ ने गुरु वशिष्ठ जी से पूछा हमे क्या करना चाहिए यह होता है सम्मान हर शुभ कार्य करने से पूर्व गुरु की आज्ञा लेना चाहिए ।मेरा आप की कृपा से सब काम हो रहा है, करते हो तुम प्रभु जी मेरा नाम हो रहा है।यह भजन सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। यदि हम भगवान की कृपा के पात्र बन जाते है तो हमारा हर काम अपने आप हो जाता है हमे अच्छे कर्म करके ईश्वर के नजदीक जाने का उसका कृपा पात्र बनने का प्रयास करना चाहिए। भारतीय संस्कृति का परिचय देते हुए बताया कि शादी के बाद पति पत्नी एक हो जाते है जिस प्रकार दो नदियों का पानी मिलने का बाद अलग अलग नही हो सकता वैसे ही सनातन संस्कृति में पति पत्नी कभी अलग नहीं हो सकते है

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