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धन-संपत्ति के लिए नहीं होना चाहिए भाईयों में मनमुटाव: भाई-भाई में प्रेम बना रहे, तभी परिवार में उन्नति - भवदेव शास्त्री

केकड़ी, 19 सितंबर: आर्य समाज केकड़ी के शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित छह दिवसीय रामकथा का समापन शुक्रवार, 20 सितंबर को भव्य तरीके से किया गया। इस अवसर पर आयोजित समापन समारोह में प्रमुख कथावाचक भवदेव शास्त्री ने भरत मिलाप के प्रसंग के माध्यम से भाईचारे और सद्भाव का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि परिवार में धन-संपत्ति के कारण कोई विवाद नहीं होना चाहिए। जिस परिवार में प्रेम और समर्पण होता है, वह हमेशा उन्नति की ओर अग्रसर रहता है।


श्री शास्त्री ने आगे कहा, "पुत्र वही होता है जो अपने पिता के धर्म का पालन करता है और माता का सम्मान करता है। पति-पत्नी को भी अपने आपसी संबंधों में मिठास बनाए रखनी चाहिए और एक-दूसरे के प्रति मधुर वाणी का प्रयोग करना चाहिए।" उन्होंने राजा दशरथ और श्रवण कुमार की कथा का उल्लेख करते हुए कहा कि मनुष्य को अपने कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है, इसलिए हमें सदैव शुभ कार्यों की ओर अग्रसर रहना चाहिए। इस अवसर पर वरिष्ठ व्यायाम शिक्षक भागचंद आर्य ने आर्यवीर दल और संस्कार एकेडमी के विद्यार्थियों को योग, प्राणायाम, लाठी, तलवार और आत्मरक्षा के गुर सिखाए। उन्होंने बच्चों को नियमित योग अभ्यास और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम के दौरान, आर्य समाज सरवाड़ के ओमप्रकाश मुंदड़ा, सत्यनारायण कुमावत, हेमंत हरवानी, तेजमल हरवानी, विजय शारदा सहित कई गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। उन्हें अपर्णा ओढ़ाकर एवं सत्यार्थ प्रकाश भेंट कर स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।


समारोह के संयोजक अशोक आर्य ने जानकारी दी कि 20 सितंबर को रामकथा का समापन होगा, जिसके बाद 21 सितंबर को प्रातः 100 कुंडी यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर आर्य जगत के प्रमुख विद्वानों द्वारा धर्म सभा का भी आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में यज्ञ मुनि, चिरंजी लाल सोनी, सत्यनारायण सोनी, कैलाश चंद महावर, दिलीप सोनी, कमलेश कुमार माली, बजरंग सिकलीगर, धनाराम आर्य, वीर सिंह अलुडिया सहित कई विद्वान और समाजसेवी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्रीनारायण शर्मा ने किया। सभी अतिथियों ने आर्य समाज के इस आयोजन की सराहना की और भविष्य में भी ऐसे धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता पर जोर दिया।

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