चातुर्मास समापन: मुनि संघ ने करुणा और क्षमा भाव का किया आह्वान, शांति धारा और जैनेंद्र अर्चना के साथ मुनि संघ का विहार संपन्न
केकड़ी- सहयोग और वियोग संसार का चक्र है संयोग होता है तो वियोग भी होगा यह अनादि काल से चल रहा है बिना सहयोग योग के संसार नहीं चल पाता है जहां पर राग देश कसाई आ जाए वहां पर कितना पड़ता है जो धर्म रूपी की लड़ जाता है वह धर्म के सारे लग सकता है अनुपम पद से जिसने अनुपम वाणी को प्राप्त कर लिया वह आत्मा रूपी कल्याण को प्राप्त कर सकता है खुद को खुद में खो जाना यही परमात्मा बनने का उपाय है शिक्षा और दीक्षा के प्रति संस्कार भाव बनाए रखें घंटाघर स्थित श्री आदिनाथ मंदिर में आयोजित धर्म सभा में मनी अनुपम सागर महाराज ने अपने धर्म प्रदेश में कहे।
धर्म सभा में मुनि यतेंद्र सागर महाराज ने कहा कि व्यक्ति का जिसे जुड़वा हो जाता है तो उसके प्रति प्रति अनुवाद वह आसक्ति बढ़ जाती है गुरुजनों के कथन के अनुसार भाव रखना चाहिए गुरु के दिखाए हुए मार्ग पर चलना चाहिए मोक्ष के प्रति हमेशा संलग्न रहे इस अवसर पर मुनि संघ पावन वर्षा योग के समापन पर चातुर्मास के दौरान संस्कार शिक्षा धार्मिक कार्यक्रमों प्रवचन के माध्यम से किसी प्रकार की जैन समाज का हमारे द्वारा जाने अनजाने में कोई भी त्रुटि हुई है तो अपने करुणा वात्सल्य भाव के द्वारा क्षमा याचना करते हुए कहा कि जिस प्रकार यह ऐतिहासिक चातुर्मास संपन्न हुआ इस तरह हमेशा किसी भी साधु का चातुर्मास करने का सहयोग बने तो कभी भी कदम मत हटाना पार्थ जिनभिषेक विभिन्न मंदिरों में शांति धारा दैनिक जैनेंद्र अर्चना मुनि संघ के सानिध्य में संपन्न हुई। दोपहर 1:00 बजे घंटाघर पर सत्यार्थ बहुत पवन वर्षा योग के समापन के अवसर पर मुनि संघ का पीछपरिवर्तन कार्यक्रम संपन्न हुआ।
मीडिया प्रभारी रमेश जैन ने बताया कि आचार्य के चित्र अनावरण दीप प्रजनन पद पक्षालन एवं शस्त्र भेंट का सौभाग्य भोपाल से पधारे श्रावक सृष्टि द्वारा किया गया दिलीप जैन ने बताया कि पिच्छी परिवर्तन समारोह में दूर दराज से पधारे अनेक shravko धर्म लाभ प्राप्त किया समाज के के सी जैन ने बताया कि मुनि संघ का शाम को 4:30 बजे प्रानेड़ा के लिए विहार हुआ।



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