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केकड़ी जिला: बना और मिटा दिया गया!

राजस्थान के नक्शे में बदलाव का ऐतिहासिक क्षण आया, जब 2023 में गहलोत सरकार ने नए जिलों की घोषणा की। जनता के चेहरे पर मुस्कान, विकास की नई उम्मीदें, और प्रशासनिक सुधार की बड़ी बातें... और फिर आया 2024, जब भजनलाल सरकार ने अपनी राजनीतिक छड़ी घुमाई, और केकड़ी समेत नौ जिलों को मानो अस्तित्व से गायब कर दिया। 


 "उम्मीद की केकड़ी"

जब 17 मार्च 2023 को गहलोत सरकार ने केकड़ी जिला बनाने की घोषणा की, तो ऐसा लगा नई लहर आई हो। अजमेर और टोंक जिलों की तहसीलों को मिलाकर जब यह जिला अस्तित्व में आया, तो लोगों ने सोचा, "चलो, अब हमारा काम आसान हो जाएगा। अब हर सरकारी काम के लिए अजमेर और टोंक के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन टिक नहीं पाई। 7 अगस्त 2023 को केकड़ी ने जिले का दर्जा पाया, और ठीक 2024 जाते जाते जिला भी चला गया । 

 "राजनीतिक सफाई"

जैसे ही भजनलाल सरकार सत्ता में आई, उन्होंने गहलोत सरकार द्वारा बनाए गए 17 जिलों को अपनी राजनीतिक चाय में डुबोकर पीने का निर्णय ले लिया। "17 जिले बनाए थे, चलिए 9 हटा देते हैं," ऐसा लगता है जैसे प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि कोई शतरंज का खेल चल रहा हो।

कैबिनेट की बैठक में बड़े गंभीरता से चर्चा हुई।  केकड़ी समेत 9 जिलों और 3 संभागों को इतिहास में दफन करने का फैसला कर दिया। जनता की उम्मीदें और विकास की बातें कागजों में ही सिमट गईं।

"केकड़ी का सपना और उसका खंडहर"

केकड़ी के लोग, जो नए जिले के नाम पर मिठाई बांट रहे थे, अब निराशा में सोच रहे हैं, "हमारे सपने का ऐसा क्या गुनाह था?"

जनता की भावनाएं और राजनीति का खेल

अगर आप केकड़ी के लोगों से पूछें, तो वे कहेंगे, "सरकारें आती हैं, जाती हैं। लेकिन हम तो बस तमाशा देख रहे हैं। कभी जिला बना दिया जाता है, तो कभी मिटा दिया जाता है। आखिर हमारी गलती क्या है?"

राजनीतिक दृष्टिकोण से, यह महज गहलोत और भजनलाल सरकार के बीच की खींचतान का नतीजा लगता है। गहलोत ने जिले बनाए थे तो भजनलाल ने उसे मिटाकर अपनी "प्रशासनिक सख्ती" दिखाई। लेकिन इस खींचतान में जो पिसा, वह आम आदमी ही था।

व्यंग्यात्मक 

तो यह कहानी है "केकड़ी जिला" नामक एक राजनीतिक प्रयोगशाला की। यह वह जगह है, जहां उम्मीदों का निर्माण किया गया, और फिर उन्हें बड़े ही शान से ढहा दिया गया।

राजस्थान की राजनीति में ऐसा लगता है जैसे जिले बनाना और मिटाना किसी खेल का हिस्सा हो। आज का जिला कल का खंडहर हो सकता है।

केकड़ी के लोग अब एक नई उम्मीद में हैं कि शायद अगली सरकार फिर से इसे जिला बना दे। तब तक वे यह सोचकर संतोष कर सकते हैं कि "चलो, इतिहास में हमारा नाम तो लिखा गया—बना और मिटा दिया गया!"


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