पशुपालकों के लिए काम की खबर: भैंस की मौत पर मिला 40 हजार रुपये, सरकार की बीमा योजना बनी सहारा
केकड़ी- किसी किसान के लिए उसका पशुधन केवल एक जीव मात्र नहीं होता वह उसकी आजीविका, उसके परिवार की आर्थिक रीढ़ और भावनात्मक जुड़ाव का हिस्सा होता है। जब कोई पशु अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है तो किसान न सिर्फ आर्थिक बल्कि मानसिक संकट से भी गुजरता है। ऐसे ही एक मार्मिक दृश्य का साक्षी बना केकड़ी उपखंड का ग्राम बीरवाड़ा जहां एक गरीब महिला पशुपालक की भैंस की मृत्यु के बाद राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना ने उसे संबल प्रदान किया।
ग्राम बीरवाड़ा की रहने वाली श्रीमती मधु सेन पत्नी रामप्रसाद सेन के घर 30 मई 2025 की सुबह अंधेरा बनकर आई। उनकी पालित भैंस जो उनके परिवार की आजीविका का मुख्य आधार थी अचानक बीमार हुई और कुछ ही समय में उसकी मृत्यु हो गई। यह भैंस केवल एक पशु नहीं बल्कि पूरे परिवार के जीवन का हिस्सा थी उसके दूध से घर चलता था।
बीमा योजना बनी सहारा
श्रीमती मधु ने कुछ महीने पहले ही अपनी भैंस का पंजीकरण राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना के अंतर्गत कराया था। जैसे ही भैंस की मृत्यु हुई उन्होंने राजकीय पशु चिकित्सा उपकेंद्र निमोद के प्रभारी पशुधन निरीक्षक मनोज वैष्णव को इसकी सूचना दी। सूचना मिलते ही पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. अमित पारीक के आदेश पर पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विशम्भर शर्मा व विभागीय SIPF कर्मचारी मौके पर पहुंचे। वहां भैंस की मृत्यु का पंचनामा तैयार किया गया और मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी किया गया।
सीधे खाते में मिलेगा मुआवजा
इस योजना के तहत अब मृत भैंस के बीमा के रूप में 40 हजार रुपये की राशि सीधे पशुपालक के जन आधार से जुड़े खाते में ट्रांसफर की जाएगी। यह सहायता राशि उस समय दी जाती है जब किसान सबसे कमजोर और बेबस स्थिति में होता है। सरकार का यह कदम न केवल वित्तीय सहारा देता है बल्कि ग्रामीणों में सुरक्षा और भरोसे की भावना भी जागृत करता है।
ग्रामीणों में बढ़ा विश्वास
इस त्वरित कार्रवाई और सहायता को देखकर गांव के अन्य किसानों और पशुपालकों में सरकार के प्रति विश्वास और उत्साह का संचार हुआ है। कई लोगों ने अब अपने पशुओं को इस योजना के अंतर्गत बीमा करवाने की बात कही है। मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना का उद्देश्य राज्य के पशुपालकों को पशु मृत्यु की स्थिति में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। योजना के तहत पंजीकृत पशु की असामयिक मृत्यु पर बीमा राशि सीधे लाभार्थी के खाते में पहुंचाई जाती है। इससे पशुपालकों को फिर से नया पशु खरीदकर अपने जीवन की गाड़ी चलाने में मदद मिलती है।
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