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सुप्रीम कोर्ट ने सरिस्का बाघ परियोजना के एक किलोमीटर के दायरे में खनन कार्य पूरी तरह बंद कराने के आदेश दिए

 अलवर। सुप्रीम कोर्ट ने कल बुधवार को सरिस्का बाघ परियोजना के क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट (सीटीएच) के एक किलोमीटर के दायरे में खनन कार्य पूरी तरह बंद कराने के आदेश दिए हैं। जस्टिस बीआर गवई, संदीप मेहता और एसवीएन भट्टी की पीठ ने सरकार को इन खानों का क्लोजर प्लान लागू करते हुए पालना रिपोर्ट पेश करने को कहा है। सरिस्का के ईको सेंसटिव जोन और सीटीएच में रोक के बावजूद हो रहे खनन के खिलाफ लगाई याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्लयूएल) की इजाजत के बिना खनन किया जा रहा है। इस पर रोक लगे। मामले में अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी। आदेश के बाद सरिस्का के 1 से 10 किलोमीटर में चल रही 85 खानों पर इसका असर पड़ेगा ।


दरसल में हम आपको बता दें कि सरिस्का बाघ परियोजना में कुल 881 वर्ग किलोमीटर एरिया सीटीएच के रूप में अधिसूचित है। जबकि 322 किलोमीटर बफर एरिया है। एनटीसीए ने करीब 8 माह पहले सरिस्का का बफर एरिया 600 वर्ग किमी और बढ़ा दिया है। इसके खिलाफ कई खान मालिक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। न्यायालय ने अवैध खनन के मामलों को लेकर चल रही याचिका में यह प्रकरण भी शामिल किया। जिस पर राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश किया, लेकिन इसमें 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सरिस्का के बफर जोन के आसपास 1 किमी का 'कुशन' यानी अतिरिक्त प्रतिबंधित जोन का जिक्र नहीं किया। खानों के लिए सरिस्का के 1 से 10 किलोमीटर में जरूरी नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की अनुमति को भी नजर अंदाज किया। जिसे गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि सरिस्का के बफर जोन के अलावा भी 1 किमी के दायरे खनन बंद करना होगा ।

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