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जिनकी भावनाएं व क्रिया शुद्ध, उनका जीवन मंगलमयह....हमारे शब्द पीड़ा देने वाले नहीं, पीड़ा हरने वाले हो- मुनि आदित्यसागरजी महाराज

केकड़ी। जिनकी भावनाएं एवं क्रियाएं शुद्ध होती है उनका जीवन मंगलमय होता है। जीव भोग से जितना कर्म बंध नहीं करता है, उससे अधिक भोगों की भावनाओं से कर्म बंध करता है। पुण्यकर्मों की अनुमोदना मात्र से जीव आगामी पर्याय में भोग भूमि में जा सकता है। यह बात श्रुत संवेगी दिगम्बर जैन मुनि श्री आदित्यसागरजी महाराज ने दिगंबर जैन चैत्यालय भवन में ग्रीष्मकालीन प्रवचनमाला के अंतर्गत सोमवार को सुबह 'मेरी भावना' काव्य के सूक्तकों की व्याख्या करते हुए कही।


मुनि आदित्यसागरजी ने सर्वश्रेष्ठ पुरुषार्थ पर जोर दिया और कहा कि किसी भी व्यक्ति के नियोग से किसी जीव को पीड़ा ना हो। यदि हमारे शब्द किसी दूसरे को पीड़ा देने लग जाए तो हमें नरक गति का बंध होता है और यदि वही शब्द पीड़ा हरने वाले हो जाए तो स्वर्ग गति का बंध हो जाता है। हमें श्रोता बनना चाहिए, सरोता नहीं, अर्थात जोड़ने वाला बनना चाहिए, तोड़ने वाला नहीं। हम सबको मन वचन कार्य से किसी भी जीव को पीड़ा पहुंचाने के भाव नहीं करना चाहिए। व्यक्ति को उन चीजों का प्रयोग करने से बचना चाहिए, जिनके इस्तेमाल से जीवों का घात हो।

धर्मसभा के प्रारंभ में श्रीमती कैलाश देवी, महावीरप्रसाद, सूरजकुमार व अंकित टोंग्या परिवार ने आचार्य श्री विशुद्धसागरजी महाराज के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्वलन किया तथा शीतलकुमार, अजयकुमार, विजयकुमार, संजयकुमार व अनमोल कटारिया परिवार ने मुनि आदित्यसागरजी महाराज के पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट किये। धर्मसभा के दौरान शाहपुरा, भीलवाड़ा, निवाई, जयपुर व कोटा से आये श्रावकों ने भी मुनिसंघ के समक्ष श्रीफल अर्पित किए।


मुनि समत्वसागरजी का मंगल प्रवेश मंगलवार को

आचार्य विशुद्धसागरजी महाराज के शिष्य दिगम्बर जैन मुनि समत्वसागरजी महाराज का ससंघ मंगलवार को सुबह केकड़ी नगर में मंगल प्रवेश होगा। वे सुबह सवा पांच बजे ग्राम छोटा शाहपुरा से पैदल विहार करते हुए यहां कादेड़ा रोड़ चौराहा पहुंचेगे, जहां स्थानीय दिगम्बर जैन समाज के श्रावक श्राविकाएं मुनिसंघ की भक्तिभावपूर्वक अगवानी करेंगे। तत्पश्चात सुबह सात बजे मुनिसंघ को एक भव्य शोभायात्रा जुलूस के रूप में नगर प्रवेश कराया जाएगा। यह जुलूस बस स्टैंड, अजमेरी गेट व घंटाघर होते हुए दिगम्बर जैन चैत्यालय भवन पहुंचेगा। जुलूस में महिलायें केसरिया परिधान व पुरुष वर्ग श्वेत वस्त्र धारण कर शामिल होंगे।

दो मुनिसंघों का होगा मिलन

गौरतलब है कि आचार्य विशुद्धसागरजी के शिष्य श्रुत संवेगी मुनि आदित्यसागरजी महाराज व मुनिसंघ पहले से ही विगत 29 मई से दिगम्बर जैन चैत्यालय भवन में विराजमान है। मंगलवार को मुनि समत्वसागरजी महाराज ससंघ के केकड़ी में मंगल प्रवेश पर मुनि आदित्यसागरजी महाराज भी उन्हें लेने जाएंगे। यह जानकारी देते हुए समाज के अरिहंत बज ने बताया कि एक ही आचार्य से दीक्षित इन दोनों मुनिसंघों का सुबह सात बजे तीन बत्ती चौराहे के समीप बालिका स्कूल के पास मिलन होगा। पैदल विहारी दिगम्बर जैन संतों का इस प्रकार केकड़ी नगर में मिलन होने का प्रसंग दुर्लभ व अत्यंत भावविभोर करने वाला रहेगा।


बघेरा में त्रयकल्याणक उत्सव बुधवार को

सकल दिगंबर जैन समाज केकड़ी के तत्त्वावधान में बुधवार को निकटवर्ती ग्राम बघेरा स्थित श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र में प्रतिवर्ष की भांति तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ का जन्म, तप व मोक्ष कल्याणक भक्तिभावपूर्वक धूमधाम से मनाया जाएगा। स्थानीय चैत्यालय भवन में संचालित श्री चन्द्रप्रभ पाठशाला के धार्मिक शिक्षक भैया विवेक शास्त्री के सानिध्य में सुबह सात बजे जिनेन्द्र अभिषेक, आठ बजे श्री शांतिनाथ पूजन विधान तथा दस बजे शांतिधारा के कार्यक्रम होंगे। यह जानकारी देते हुए जैन सोशल ग्रुप के महेंद्र पाटनी ने बताया कि विधान के पश्चात समाज का वात्सल्य भोज होगा। क्षेत्र पर जाने के लिये वाहन व्यवस्था सुबह देवगांव गेट के समीप स्थित चैत्यालय के यहां उपलब्ध रहेगी।

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