बीसलपुर बांध छलकने को तैयार, त्रिवेणी का प्रवाह बढ़ा
केकड़ी 26 अगस्त 2024- बीसलपुर बांध इस बार छलकने को तैयार है , पिछले 24 घंटों में 22 सेंटीमीटर पानी की आवक दर्ज की गई है, जिससे बांध का जलस्तर बढ़कर 313.72 आरएल मीटर हो गया है। त्रिवेणी का प्रवाह इस समय 3.80 मीटर पर चल रहा है, जो बांध के लिए पानी की मुख्य आवक का स्रोत है। वर्तमान में बांध की कुल जलधारण क्षमता 746.228 मिलियन क्यूबिक मीटर है, जो कुल भंडारण क्षमता का 68.10% है। इस दौरान क्षेत्र में 16 मिमी की बारिश भी दर्ज की गई, जिससे अब तक की कुल बारिश 936 मिमी हो गई है। जयपुर, अजमेर और टोंक, ब्यावर, केकड़ी सहित कई शहरों में इस बांध से पानी की सप्लाई होती है. बीसलपुर बांध की भराव क्षमता 315 आरएल मीटर सहित 38.5 टीएमसी है।
बीसलपुर बांध का ओवरफ्लो
बीसलपुर बांध अब तक 6 बार ओवरफ्लो हो चुका है। पहली बार 2004 में बांध पूरी क्षमता से भर गया था। इसके बाद 2006, 2014, 2016, 2019 और 2022 में भी बांध ओवरफ्लो हुआ। सबसे ज्यादा 2019 में बांध के 18 गेटों को खोलकर पानी की निकासी की गई थी।
बनास में पानी की मुख्य आवक का स्रोत प्रसिद्ध मेनाल झरना है, जिसका पानी गोवटा बांध में आता है। गोवटा बांध के ओवरफ्लो होने के बाद पानी मेनाली नदी में मिलकर त्रिवेणी तक पहुंचता है। त्रिवेणी में बनास, बेड़च एवं मेनाली नदी मिलकर त्रिवेणी संगम बनाती है और यही प्राचीन महादेव का मंदिर बना हुआ है, जो लोगों की आस्था का केंद्र है। त्रिवेणी नदी से आगे पानी बनास नदी के रूप में शुरू होता है, जिसमे कोठारी नदी, ऊवली नदी, नगदी नदी सहित अन्य छोटी सहायक नदियां मिलती है। और बनास नदी का यह पानी बीसलपुर बांध तक पहुंचता है। बीसलपुर बांध में पानी की मुख्य आवक का स्रोत त्रिवेणी को माना गया है।
बीसलपुर बांध से जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक और ब्यावर, केकड़ी जिलों की करीब एक करोड़ की आबादी की जल आपूर्ति की जाती है। पर्यटन और धार्मिक महत्व: बीसलपुर बांध मानसून के समय में एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन जाता है। जब बांध के गेट खोले जाते हैं और पानी का प्रवाह तेज़ होता है, तो यह दृश्य देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। बांध के समीप स्थित गोकर्णेश्वर महादेव मंदिर भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। यह माना जाता है कि यहां रावण ने तपस्या की थी, जिससे इस मंदिर का विशेष महत्व है।
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