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आर्य समाज केकड़ी में 100 कुण्डीय महायज्ञ सम्पन्न, डॉ. सोमदेव ने वेदों पर व्याख्यान, डॉ. मोक्षराज ने अमेरिका में भारतीय कृषि की सफलता को सराहा

केकड़ी, 21 सितंबर 2024: आर्य समाज मंदिर केकड़ी में मुम्बई निवासी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैदिक विद्वान एवं रानी पद्मिनी कन्या गुरुकुल चित्तौड़गढ़ के अधिष्ठाता डॉ. सोमदेव शास्त्री के ब्रह्मत्व में 100 कुण्डीय महायज्ञ का भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ। इस महायज्ञ में डॉ. सोमदेव ने वेदों के महत्व और समस्त प्राणियों के कल्याण हेतु वेदों में दिए गए हजारों मंत्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि वेदिक मंत्रों का पाठ जीवन में शांति और संतुलन लाता है। इस अवसर पर गुरुकुल की कन्याओं ने चारों वेदों के चुने हुए मंत्रों का पाठ कर उपस्थित श्रद्धालुओं को अभिभूत कर दिया।


समारोह में शामिल पूर्व राजनयिक और भारतीय संस्कृति शिक्षक डॉ. मोक्षराज ने अपने अमेरिकी प्रवास के अनुभव साझा करते हुए बताया कि अमेरिका में भारतीय मसालों और व्यंजनों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। उन्होंने इसे भारतीय किसानों की बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि महर्षि दयानंद हमेशा किसानों को समाज में सर्वोच्च स्थान देने की बात करते थे। 


सांयकालीन सत्र में आर्यवीर दल और आर्यवीरांगनाओं ने व्यायाम प्रदर्शन किया, जिसमें व्यायाम शिक्षक भागचंद आर्य के निर्देशन में जुडो-कराटे, आसन, लेजियम, स्तूप आदि का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान के मंत्री जीव वर्धन शास्त्री ने कहा कि आर्य समाज सदैव किसानों के हित में कार्यरत रहेगा और उनकी हर संभव सहायता के लिए तत्पर है।


समारोह के संयोजक और आर्य समाज केकड़ी के प्रधान अशोक आर्य ने बताया कि शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में इस महायज्ञ का आयोजन किया गया था। यज्ञ के उपरांत आयोजित आध्यात्मिक सम्मेलन में स्वामी चेतनानंद सरस्वती, स्वामी दयानंद भरतपुर, आचार्य वरुण देव जोधपुर, आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान किशनलाल गहलोत, मंत्री जीव वर्धन शास्त्री, प्रवक्ता डॉ. मोक्षराज, आचार्य भवदेव शास्त्री सहित अन्य वैदिक विद्वानों ने भाग लिया। 


आचार्य सोमदेव शास्त्री ने यज्ञ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यज्ञ से पर्यावरण की शुद्धि होती है, ज्ञान की वृद्धि होती है और सामाजिक संगठन को बल मिलता है। आचार्य वरुण देव ने महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन और उनके द्वारा दिए गए वैदिक सिद्धांतों को समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण बताया। आचार्य भवदेव शास्त्री ने 'ज्योत से ज्योत जलाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो' गीत के माध्यम से समाज में प्रेम और सौहार्द की भावना को फैलाने का संदेश दिया। कार्यक्रम के दौरान आयोजित किसान सम्मेलन में स्वामी चेतनानंद सरस्वती ने किसानों को जैविक खेती को अपनाने और उनके हित में संगठित होकर कार्य करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि आज के समय में सभी राजनीतिक दल केवल किसानों का उपयोग कर रहे हैं, इसलिए किसानों को अपने हित में स्वयं जागरूक और संगठित होना चाहिए। 


अशोक आर्य ने बताया कि इस शताब्दी समारोह के अंतिम दिन 23 सितंबर को प्रातःकालीन सत्र में महिला सम्मेलन का आयोजन होगा और कार्यक्रम का विधिवत समापन किया जाएगा। इस पूरे कार्यक्रम में स्थानीय आर्य समाज के सदस्यों का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन सत्यनारायण सोनी ने किया।

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