मानव तू मानव बन यह छोड़ दे पागलपन- भवदेव शास्त्री
केकड़ी, 16 सितंबर 2024- आर्य समाज केकड़ी के शताब्दी समारोह में आयोजित रामकथा के दूसरे दिन भवदेव जी शास्त्री ने बताया कि श्रीराम जन्म किस प्रकार हुआ था गर्भ धारण करने से लेकर बच्चे के बड़े होने तक जो भी संस्कार मां के द्वारा संतान को दिए जाते है उनका विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि बच्चे का निर्माण करने में मां का अहम योगदान होता है। शास्त्री जी ने बताया कि मनुष्य वह होता है जो मनन करता है अपने विवेक से काम करता है आज मानवता नष्ट हो गई है राक्षस प्रवृति के इंसान ज्यादा बन रहे है मनुष्य के बीच मनुष्य सुरक्षित महसूश नहीं कर रहा है।
कथा के दौरान बताया गया कि विश्वामित्र जी ने राजा दशरथ से कहा " न सोना चांदी , धरा न धन धान चाहता हूं, यज्ञ की रक्षा के लिए श्रीराम चाहता हूं "मारीच और सुबाहु नामक राक्षस उनके यज्ञ में बाधा उत्पन्न कर रहे थे । तन मन में रसधार भरेगी रामकथा भजन सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कथा में अतिथि के रूप में वार्ड पार्षद श्रीमती मुन्नी देवी साहू व आर्य समाज डोहरिया के मंत्री नवरत्न जी आर्य का सीमा सोनी व शशिकला आर्य ने तथा कैलाश चंद महावर, रतन पंवार व मूलचंद महावर ने पटका पहनाकर,स्मृति चिन्ह व अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश की प्रति भेंट कर सम्मान किया।
मुख्य संयोजक अशोक आर्य ने बताया कि रामकथा आगामी 20 सितम्बर तक रोजाना 2 से 5 बजे तक होगी। 21 तारीख को 100 कुंडीय यज्ञ,धर्म सभा,किसान सम्मेलन तथा आर्यवीर प्रदर्शन होगा व 22 सितम्बर को महिला सम्मेलन ,सम्मान समारोह तथा समापन समारोह आयोजित किया जाएगा

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