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पुरुषार्थ और तप से बदल सकते हैं भाग्य- मुनि अनुपम सागर महाराज

केकड़ी - किसी की भी खोज किए बिना कुछ प्राप्त नहीं कर सकते खोजने के लिए भी कुछ खोना पड़ सकता है खोज भी ऐसी करें कि स्वयं को खोना न पड़ जाए होना पड़ जाए।  इच्छा का दमन करना ही तप है तप से कर्मों की निर्जरा हो जाती है । पुरुषार्थ किए बिना भाग्य को नहीं बदल सकते । मात्र भाग्य के भरोसे ही नहीं रहना चाहिए पुरूषार्थ तो करना ही पड़ेगा। कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी भी पड़ सकता है भावों से की गई धर्म क्रिया से पुण्य संचित करके सफलता पा सकते हैं । मंदिर धर्म का पैसा अपने पास रखना एवं धार्मिक कार्यक्रमों के अलावा अन्यंत्र स्थान पर पैसा लगाना महान दोष का कारण बनता है एवं शीघ्र दुर्गति का परिणाम भुगतना पड़ सकता है । इसमें निर्माल्य का घोर पाप का बंद होता है। हिंसक मायाचारी से धनार्जन करने से दरिद्रता का फल मिलता है ।देवगांव गेट स्थित पाश्र्वनाथ मंदिर संस्था भवन में सत्यार्थ बोध पावन वर्षा योग के अवसर पर आयोजित धर्म सभा में मुनि श्री अनुपम सागर महाराज ने अपने धर्मोपदेश में कहे। 


धर्म सभा में मुनी यतीन्द्र सागर महाराज ने कहा कि धर्म करने का अर्थ समझना चाहिए बिना सोचे समझे भी धर्म नहीं करना चाहिए । धर्म विज्ञान से भी बहुत आगे है धर्म की सिद्धि के लिए विज्ञान का आविष्कार हुआ है । समाज के प्रेम मित्तल ने बताया कि शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज एवं सर्वोच्च गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माताजी के जन्म जयंती के उपलक्ष में गुरु गाथा कार्यक्रम में पाश्र्वनाथ मंदिर में 23वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ भगवान का सहस्त्रनाम रिद्धि मित्रों द्वारा मुनि ससंघ के सानिध्य में सैकड़ो श्रृद्धालुओं द्वारा महामस्ताभिषेक संपन्न हुआ ।समाज के कैलाश रांटा ने बताया कि मध्याह में मुनि ससंघ के सानिध्य में मय संगीत के साथ आचार्य श्री विद्यासागर महाराज एवं गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माताजी के अष्ट द्रव्य से महिला मंडल, युवा मंडल, सकल जैन समाज के श्रृेष्ठी जनों द्वारा पूजन सहित अघ्र्य समर्पित किए गए । शाम को 1008 दीपकों द्वारा श्रीजी की आरती की गई । मीडिया प्रभारी रमेश जैन ने बताया कि आचार्य के चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन, पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य प्रेमचंद, संतोष देवी, मुकुल, रश्मि मित्तल नासिरदा वालों ने प्राप्त किया। धर्म सभा का संचालन प्यारेलाल जैन द्वारा किया गया।


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