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गुरुनानक देव जी की 555वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई

केकड़ी: सिंधी समाज द्वारा गुरुनानक देव जी की 555वीं जयंती धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह सिंधी मंदिर से प्रभात फेरी के आयोजन के साथ हुई। यह प्रभात फेरी घंटाघर, अजमेरी गेट, खिड़की गेट, सदर बाजार, सिंधी कॉलोनी और गीता भवन होते हुए वापस सिंधी मंदिर पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो गई।


सिंधी भ्रात्री मंडल के मीडिया प्रभारी राम चंद टहलानी ने बताया कि पुणे से आए पूज्य सुरेश महाराज के सानिध्य में पाठ साहिब की स्थापना कर पिछले सात दिनों से सुबह-शाम भजन-कीर्तन आयोजित किए जा रहे थे। धर्मसभा में अपने प्रवचनों के दौरान सुरेश महाराज ने फरमाया, "गुरु ग्रंथ है जिन मानिआ प्रकट हुए प्रकाश। जाका हिरदा शुद्ध है, ले शब्द खोज में आए।" उन्होंने यह संदेश दिया कि हर इंसान को कण-कण में व्याप्त परमात्मा को पहचानना और उनकी भक्ति करनी चाहिए, तभी मानव जीवन सार्थक होगा।


उन्होंने दसवीं पातशाही श्री गुरु गोविंद सिंह साहब के इस विचार को भी दोहराया कि "आज के बाद कोई गुरु गद्दी विराजमान नहीं होंगे, केवल श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को ही गुरु मानकर उनकी पवित्र वाणियों को अपने जीवन में अपनाना है। इस अवसर पर सिंधी संरक्षक मंडल, सिंधी भ्रात्री मंडल, सिंधी नवयुवक मंडल और सिंधी महिला मंडल के अधिकारी एवं सदस्यों ने सक्रिय योगदान दिया। कार्यक्रम के दौरान गुरुनानक देव जी के उपदेशों और सिख परंपराओं का प्रचार-प्रसार करते हुए भक्तों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।


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