थप्पड़ों की गूंज और जले हुए सपने,समरावता में लोकतंत्र की जलती हुई तस्वीर
देवली-उनियारा उपचुनाव जहां लोकतंत्र का उत्सव होना चाहिए था वहां आगजनी फर्जी मतदान और थप्पड़ों की गूंज ने इसे तमाशा बना दिया। समरावता गांव में फर्जी वोटिंग के आरोपों के बाद पूरा गांव रणभूमि में तब्दील हो गया। जहां जली हुई गाड़ियां घर और खेतों की बाड़ लोकतंत्र के जलते हुए सपनों की गवाही दे रही थीं वहीं सियासतदान अपनी गोटियां फिट करने में जुटे थे।
एसडीएम को थप्पड़ मारने से लेकर पुलिस पर बर्बरता के आरोपों तक यह कहानी सत्ता के लालच और राजनीति के गिरते स्तर की मिसाल है। हाईवे पर जाम आगजनी और लोकतंत्र के नाम पर हो रहे इस खेल ने यह साफ कर दिया कि यहां चुनाव जनता के लिए नहीं बल्कि सत्ता के लिए लड़ा जा रहा है।
किरोड़ी लाल मीणा की ग्रामीणों को समझाइश गहलोत के तीखे आरोप और नरेश मीणा के समर्थकों की चेतावनी ने इसे एक ऐसा सियासी नाटक बना दिया जिसमें हर किसी का किरदार पहले से तय था। सवाल यह है कि इस नाटक में हार लोकतंत्र की हुई है या जनता की उम्मीदों की?


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