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मोह-माया के अंधकार से उजाले की ओर ले जाने का संदेश: मुनि अनुपम सागर महाराज

केकड़ी- रास्ता बहुत दूर है मंजिल तक कैसे पहुंच सकते हैं उजाला बहुत है लेकिन अंधेरा ही अंधेरा नजर आता है जीवन में ऐसा कार्य मत कर लेना कि भविष्य ही अंधकार में हो जाए । आचार्य अमित गति स्वामी अपने सत्यार्थ बोध ग्रंथ के माध्यम से श्रावकों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं यह सब जानने के बाद भी अपनी आत्म रूपी कल्याण के प्रति सजक नहीं है और विचार नहीं कर पा रहे हैं वर्तमान में जो मनुष्य पर्याय है उसे समय को नहीं समझ पाकर भविष्य को नष्ट करते हुए अंधकार रूपी मोह माया वासना में गोते खा कर डूबने चले जा रहे हैं । देने वाला खूब देता है लेकिन अपने पसंदीदा चीज को ही लेने के प्रति लालायित है जो प्राप्त करके प्रभु से अपनी अंतरात्मा की पहचान नहीं कर पाता । मांग ऐसी करो कि भविष्य में  मांग मांगना ही मिट जाये। प्रभु दर्शन के मांग की अभिलाषा रखें । पूज्यों के प्रति गुणानुरागी बनना चाहिए । मजबूरी एवं मजदूरी से किया गया धर्म कार्य कभी भी फलित नहीं होता । जबकि मजबूती से धर्म कार्य सफलता दिला सकता है । प्रीति ऐसी चल रही है कि जिसने आज जन्म दिया उसके प्रति अनुभव कम रखते हैं । लेकिन जिसको जन्म दिया उसके प्रति अपार स्नेह रखते हैं । सिद्ध प्रभु की आराधना में यदि तन्मयता से कर लेते हैं तो सिद्ध चक्र की प्राप्ति से समाधि को पा सकते हैं। घंटाघर स्थित श्री आदिनाथ मंदिर में सत्यार्थ बोध पावन वर्षा योग के अवसर पर आयोजित अष्टान्हिका पर्व पर श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान के अंतर्गत मुनिश्री अनुपम सागर महाराज ने अपने धर्मोपदेया में कहे ।


प्रातः जिनाभिषेक, शांतिधारा, दैनिक जिनेन्द्र अर्चना एवं सिद्ध चक्र महामंडल विधान मुनि ससंघ के सानिध्य एवं पंडित मनोज शास्त्री पं. अंकित शास्त्री के निर्देशन में सुमधुर संगीत के साथ सिद्ध प्रभु के 256 अघ्र्य श्रीफल सहित श्रद्धालुओं द्वारा समर्पित किए गए। मीडिया प्रभारी रमेश जैन ने बताया कि 20 नवंबर से 22 नवंबर 2024 तक प्रान्हेड़ा में मुनि ससंघ के सानिध्य में होने वाले पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतर्गत भगवान के बनने वाले माता-पिता की गोद भराई एवं बहुमान विधान के पुण्यार्जक सौधर्म इन्द्र ओम मित्तल परिवार द्वारा किया गया एवं मुनि ससंघ का पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट किया गया । दिलीप जैन ने बताया कि मुनि ससंघ के शीतकालीन प्रवास हेतु सकल दिगंबर जैन समाज, सरवाड़ द्वारा श्रीफल भेंट किया गया।

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