मानहानि मामले में भाजपा नेता दोषी करार, कोर्ट ने एक साल तक पाबंद किया
केकड़ी, 5 अगस्त : स्थानीय अधिवक्ता मनोज आहूजा की मानहानि के मामले में भाजपा नेता दाऊराम शर्मा को कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए एक वर्ष तक शांति एवं सदाचार बनाए रखने की शर्त पर पाबंद किया है। साथ ही अभियोजन व्यय के रूप में ₹1500 का अर्थदंड भी लगाया गया है। यह आदेश अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-2 की न्यायाधीश हिरल मीणा ने दाऊराम शर्मा द्वारा न्यायालय में जुर्म स्वीकार करने पर पारित किया।
यह था मामला: वर्ष 2014 में अधिवक्ता मनोज आहूजा ने लाली खारोल निवासी बगराई से एक भूमि का क्रय किया था। इसके बाद 12 मार्च 2014 को भाजपा नेता दाऊराम शर्मा ने तेजू खारोल, रामलाल खारोल, शंकर खारोल, काना खारोल, जगनाथ खारोल, कल्याण खारोल, रामजी, दयाल गुर्जर व शिवप्रकाश बैरवा के साथ मिलकर भिनाय तहसीलदार व थानाधिकारी को एक झूठा ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि आहूजा ने धोखाधड़ी से जमीन हड़प ली है। इस आधार पर दस लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 500 व 504 के तहत मानहानि का मामला दर्ज कर चार्जशीट प्रस्तुत की गई थी। सभी आरोपियों को पूर्व में जमानत मिल गई थी, लेकिन प्रकरण के विचाराधीन रहते हुए दाऊराम शर्मा की जमानत जब्त हो गई थी, जिस पर न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे।
जुर्म स्वीकार कर कोर्ट में पेश हुआ भाजपा नेता:
9 जुलाई को दाऊराम शर्मा ने अदालत में आत्मसमर्पण करते हुए जमानत आवेदन दिया और इसके साथ शपथ पत्र प्रस्तुत कर जुर्म स्वीकार किया। शपथ पत्र में उन्होंने लिखा कि यह उनका पहला अपराध है और उन्हें पूर्व में किसी मामले में परिवीक्षा का लाभ नहीं मिला है। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए एक वर्ष तक अपराध नहीं करने व शांति बनाए रखने की शर्त पर पाबंद कर दिया।
आहूजा बोले— शपथ पत्र झूठा, करेंगे अग्रिम कार्रवाई:
एडवोकेट मनोज आहूजा ने कहा कि दाऊराम शर्मा का शपथ पत्र झूठा है। उन्होंने दावा किया कि यह उसका पहला अपराध नहीं है, बल्कि यह तीसरा मामला है और पूर्व में वह अजमेर में एक अधिकारी के साथ मारपीट के मामले में परिवीक्षा अधिनियम का लाभ ले चुका है। आहूजा ने कहा कि वह न्यायालय को वास्तविक तथ्य प्रस्तुत कर अग्रिम कानूनी कार्रवाई करेंगे और मांग करेंगे कि दाऊराम को परिवीक्षा का लाभ न देकर जेल भेजा जाए।
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