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इंसान के सुख-दुःख का आधार उसके अपने कर्म: भगत प्रकाश जी

केकड़ी। बंजारा मोहल्ला स्थित सिंधी मंदिर में आयोजित सत्संग समारोह में अमरापुर दरबार, जयपुर के महामंडलेश्वर भगत प्रकाश जी ने मानव जीवन में कर्म के महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इंसान के सुख और दुख का मूल कारण उसके स्वयं के कर्म होते हैं, इसलिए हर कार्य सोच-समझकर और विवेकपूर्वक करना चाहिए।


उन्होंने कहा कि मनुष्य को भली-भांति मालूम होता है कि क्या अच्छा है और क्या बुरा, फिर भी वह बुराई की ओर आकर्षित हो जाता है और परिणामस्वरूप दुख भोगता है। प्रकृति सभी के साथ समान व्यवहार करती है—धूप, हवा और बारिश सबको बराबर मात्रा में मिलती है। अंतर केवल व्यक्ति या वस्तु के ‘स्वभाव’ और ‘गुण’ से उत्पन्न होता है। जिस प्रकार करेला कड़वा और गन्ना मीठा फल देता है, उसी प्रकार मनुष्य भी जैसा कर्म बोता है, वैसा ही फल पाता है।

भगत प्रकाश जी ने कहा कि संतों ने हमेशा जीवन को सजगता, सत्य, भलाई और परमात्मा-स्मरण के साथ जीने की शिक्षा दी है, लेकिन मनुष्य अपनी खुदगर्जी के कारण राह भटक जाता है और स्वयं भी दुखी होता है तथा दूसरों को भी दुख देता है। उन्होंने आग्रह किया कि समय रहते सज्जनों की संगति और सत्संग कर अच्छे कर्मों को अपनाकर जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है। सत्संग के दौरान प्रेम प्रकाश मंडली, केकड़ी के बच्चों ने एक लघु नाटिका प्रस्तुत की, जिसका उपस्थितजनों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम में महामंडलेश्वर भगत प्रकाश जी का स्वागत सिंधी समाज की ओर से समाज अध्यक्ष चेतन भगतानी ने किया। सत्संग उपरांत सभी के लिए लंगर प्रसाद की व्यवस्था की गई।


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