राजस्थान के नए जिलों पर मंथन: 2000 करोड़ की दुविधा और केकड़ी की चिंता
2 सितंबर 2024,केकड़ी- राजस्थान की राजनीति में हाल ही में नई गर्मी आई है। जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने एक विशेष बैठक के बाद कहा कि राज्य में बने 17 नए जिलों पर निर्णय जनभावना को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा। अब सुनिए, बात ऐसी है कि ये नए जिले कहीं जल्दबाजी का नतीजा तो नहीं? चौधरी साहब के हिसाब से, “जल्दबाजी में कई जिले बनाए गए हैं और ये नए जिले प्रशासनिक और क्षेत्रीय मापदंडों को पूरा नहीं करते। इन जिलों को चलाने में 2000 करोड़ रुपए का खर्चा आता है।
कमेटी के फैसले का इंतज़ार
कमेटी की बैठक में आज कोई फाइनल निर्णय नहीं हुआ, क्योंकि फैसला करना इतना आसान नहीं है। राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने बताया कि सारे पहलुओं पर विचार किया गया है, पर 'फाइनल' शब्द से कमेटी अभी भी बच रही है। शायद फाइनल शब्द की राजनीति में एक अलग ही धौंस होती है।
कहां जाएँगे 2000 करोड़?
एक जिले को ठीक तरीके से चलाने के लिए 2000 करोड़ रुपए की ज़रूरत है, और प्रतापगढ़ ज़िला साल 2008 में बन गया था, लेकिन काम अभी भी अधूरा पड़ा है। मंत्री जी का कहना है कि जनता के पैसे का सही उपयोग होना चाहिए, और इसके लिए पूरे आकलन की ज़रूरत है। अब सवाल यह है कि इतने नए जिलों का क्या होगा, और जनता के पैसे का कौन हिसाब देगा? अब बात करते हैं केकड़ी की, जहां चर्चा का बाजार इस बात पर गर्म है कि केकड़ी जिला रहेगा या जाएगा। लोगों का मानना है कि यदि केकड़ी जिला समाप्त होता है, तो इसका भारी खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।
राजस्थान में 17 नए जिलों के गठन और उनके भविष्य को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। इस कमेटी का उद्देश्य नए जिलों के गठन के संबंध में सभी पहलुओं का गहन अध्ययन और मंथन करना है। इस कमेटी के प्रमुख सदस्यों के नाम और उनके कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी नीचे दी गई है:
उच्च स्तरीय एक्सपर्ट कमेटी:
इस कमेटी का गठन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के समय नए जिलों के गठन के बाद से उत्पन्न विवादों के समाधान के लिए किया गया था। इस कमेटी की अध्यक्षता रिटायर्ड आईएएस अधिकारी ललित के. पंवार कर रहे हैं। इस कमेटी में विभिन्न पहलुओं जैसे आबादी, क्षेत्रफल, वर्तमान इंफ्रास्ट्रक्चर, संचार साधन, सांस्कृतिक परिदृश्य और राजस्व स्रोतों का अध्ययन किया गया है। कमेटी ने इसके आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की, जिसे राज्य सरकार को सौंपा गया है।
कैबिनेट सब कमेटी:
यह कमेटी उच्च स्तरीय एक्सपर्ट कमेटी द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट पर विचार करने और अंतिम निर्णय लेने के लिए बनाई गई है। इस कैबिनेट सब कमेटी में निम्नलिखित सदस्य शामिल हैं:
1. डॉ. प्रेमचंद बेरवा (डिप्टी सीएम)
कैबिनेट सब कमेटी की अध्यक्षता कर रहे डॉ. प्रेमचंद बेरवा राजस्थान के उपमुख्यमंत्री हैं। उनके नेतृत्व में यह कमेटी नए जिलों के गठन के संबंध में फाइनल निर्णय लेगी। उनकी भूमिका इस पूरी प्रक्रिया में निर्णायक मानी जा रही है।
2. राज्यवर्धन सिंह राठौड़
राज्यवर्धन सिंह राठौड़, जो कि मंत्री और ओलंपिक पदक विजेता भी रह चुके हैं, इस कमेटी के सदस्य हैं। उनके अनुभव और समझ के आधार पर इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण विचार-विमर्श किया जा रहा है।
3. कन्हैयालाल चौधरी (जलदाय मंत्री)
कन्हैयालाल चौधरी राजस्थान के जलदाय मंत्री हैं। उन्होंने नए जिलों के गठन से जुड़े खर्चों और प्रशासनिक चुनौतियों पर खुलकर अपनी राय रखी है। उनकी चिंता है कि इन जिलों को चलाने में भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा।
4. हेमंत मीणा (राजस्व मंत्री):
हेमंत मीणा इस कमेटी में राजस्व मंत्री के रूप में शामिल हैं। उन्होंने अब तक की बैठकों में नए जिलों के संबंध में किसी फाइनल निर्णय तक न पहुंचने की बात कही है। उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि नए जिलों के गठन के पीछे मुख्य राजस्व संबंधी मुद्दे भी शामिल हैं।
5. सुरेश सिंह रावत (जल संसाधन मंत्री)
सुरेश सिंह रावत इस कमेटी के एक अन्य महत्वपूर्ण सदस्य हैं। जल संसाधन मंत्री के रूप में उनका फोकस नए जिलों के संसाधनों और उनके सही उपयोग पर है। उनके विचार और निर्णय इस पूरे मुद्दे पर प्रभावी हो सकते हैं।
कमेटी की भूमिका:
इस कैबिनेट सब कमेटी की भूमिका यह है कि वह उच्च स्तरीय एक्सपर्ट कमेटी द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट का गहन अध्ययन करे और इसके आधार पर राज्य के हित में अंतिम निर्णय ले। कमेटी का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नए जिलों के गठन से राज्य की जनता पर कोई अनावश्यक बोझ न पड़े और प्रशासनिक व्यवस्था बेहतर हो सके।
केकड़ी पर चर्चा
केकड़ी, जो कि नए जिलों में से एक है, का भविष्य भी इस कमेटी के हाथों में है। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, केकड़ी का जिला दर्जा समाप्त होने की संभावना है, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय लेना बाकी है। केकड़ी के लोगों में इस संबंध में काफी चिंताएं और चर्चाएं हैं, और इस पर क्या निर्णय लिया जाएगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।
डॉ. रघु शर्मा, पूर्व चिकित्सा मंत्री और विधायक, हाल ही में केकड़ी दौरे पर रहे। उनके दौरे को लेकर चर्चाओं का दौर चल रहा है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि केकड़ी जिला निरस्त होता है, तो रघु शर्मा इस मौके को छोड़ने वाले नहीं हैं। “राजनीति में जो दिखता है, वो होता नहीं, और जो होता है, वो दिखता नहीं,” ये कहावत इस बार शायद सही साबित हो जाए।
राजनीति का खेल
यह तय माना जा रहा है कि केकड़ी जिला निरस्त होने पर स्थानीय राजनीति में हलचल मचनी तय है। रघु शर्मा के इस दौरे को लोग सीधे-सीधे जिला एपिसोड से जोड़कर देख रहे हैं। अब देखना यह है कि आगे इस खेल में कौन बाजी मारता है। वैसे भी, राजनीति में क्या होता है, ये तो वक्त ही बताएगा।
अगला कदम:
कमेटी की रिपोर्ट पर अब आगे की बैठक में विस्तार से चर्चा की जाएगी। इस बैठक के बाद ही यह तय होगा कि 17 नए जिलों का भविष्य क्या होगा और केकड़ी सहित अन्य जिलों का दर्जा रहेगा या नहीं।


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