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मोह और अहंकार का भार ही दुर्गति का कारण: मुनि अनुपम सागर महाराज

केकड़ी 16 अक्टूबर2024- इंसान अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार भार बहन कर पाता है यदि भार अधिक है तो कम करके हल्का करना पड़ता है । इसी प्रकार चैरासी लाख योनियों में भ्रमण करते हुए मनुष्य पर्याय को प्राप्त कर मोह माया अहंकार का जो भार सहन कर रहे हैं यह दुर्गति का ही कारण है । इस वजन को कम करने का प्रयास करना चाहिए और पुण्य कार्य धर्म त्याग एवं व्रत के द्वारा आत्म बल को सशक्त  करते हुए परमात्मा के निकट पहुंचा जा सकता है । पाप के प्रति आकांक्षा से कभी भी तृप्त नहीं हो पाते हैं पुण्य के द्वारा कर्मों का क्षय करके आत्मा को जानने के माध्यम से मन को मान सम्मान मिल सकता है । मन और वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए । मन इन्द्रिय के वशीभूत होता है इसलिए मन को रोकना चाहिए । अज्ञानता से असंयम की प्राप्ति होती है साधना करके आराधना करते हुए आराध्य को प्राप्त कर सकते हैं । देवगांव गेट स्थित श्री पारसनाथ मंदिर में आयोजित सत्यार्थ बोध धर्म सभा में मुनि अनुपम सागर महाराज ने अपने धर्मोपदेश में कहे । 


धर्म सभा में मुनि यतीन्द्र सागर महाराज ने कहा कि दुख और संकलेशता से बड़ा कोई रोग नहीं है और आत्म स्वरूप को समझ कर परमात्मा के निकट पहुंचने से बड़ी कोई दवा नहीं है । समाज अध्यक्ष ओमप्रकाश भाल ने बताया कि 23वें तीर्थंकर श्री पाश्र्वनाथ भगवान का मुनि संघ के सानिध्य में सहस्त्रनाम रिद्धि मंत्रों द्वारा प्रातः महामस्ताभिषेक का कार्यक्रम संपन्न होगा । समाज के प्रेम मित्तल में बताया कि आचार्य विद्यासागर महाराज एवं सर्वोच्च सर्वोच्च गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माताजी के जन्म जयंती के अवसर पर गुरु गाथा के सहित  मुनि ससंघ के सानिध्य में आचार्य भक्ति  पूजन सहित धार्मिक कार्यक्रम होगा ।कैलाश रांटा ने बताया कि आचार्य के चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन एवं पाद प्रक्षालन शास्त्रभेंट का सौभाग्य ओमप्रकाश, ताराचंद, प्रेमचंद बड़ला वाले परिवार ने प्राप्त किया । धर्म सभा का संचालन प्यारेलाल जैन द्वारा किया गया।

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