सावर का ‘फर्जी सुसाइड कांड’: सुसाइड नोट–बाइक छोड़कर फरार, रेप केस से बचने का नाटक—अजमेर में दबोचा गया
केकड़ी। सावर बनास नदी पुलिया पर सुसाइड नोट और मोटरसाइकिल छोड़कर पूरे सिस्टम को हिला देने वाला रामलाल उर्फ कालूराम आखिरकार जिंदा मिल गया। आत्महत्या की झूठी कहानी रचकर पुलिस, एसडीआरएफ और प्रशासन को तीन दिन तक परेड कराने वाले इस युवक को अजमेर रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ने डिटेन किया। तकनीकी ट्रेसिंग और मुखबिर इनपुट की बदौलत पुलिस ने पूरा मामला बेनकाब कर दिया।
3 दिसंबर को नियंत्रण कक्ष अजमेर से सूचना मिली कि स्टेट हाईवे-26 स्थित बनास नदी पुलिया से एक युवक छलांग लगा अपनी जान दे चुका है। पुलिस मौके पर पहुंची तो वहां मिली। एक सुसाइड नोट-3 आधार कार्ड की फोटोकॉपी,एक पासपोर्ट साइज फोटो,मोटरसाइकिल RJ-51-SL-4292। अंधेरा होने के कारण रेस्क्यू नहीं हो सका, लेकिन अगले दिन से एसडीआरएफ की दो टीमें लगातार 4 से 6 दिसंबर तक खोज अभियान में जुटी रहीं। तीन दिनों की मशक्कत के बावजूद कोई शव नहीं मिला, जिससे शक और गहराया।
गंभीर केस में वांछित — suspicion बढ़ा- सूचना तंत्र सक्रिय किया गया तो पता चला कि रामलाल के खिलाफ थाना जहाजपुर में बलात्कार जैसे गंभीर आरोपों वाला थाना प्रकरण № 305/2025 दर्ज है।यहां से पुलिस को पुख्ता अंदेशा हुआ कि मामला आत्महत्या नहीं, बल्कि सजायाफ्ता भविष्य से बचने का नाटक है। टेक्निकल इनपुट ने बदला रुख — दिल्ली से साबरमती जा रही ट्रेन में सफर करता मिला। 6 दिसंबर को तकनीकी टीम को लोकेशन इनपुट मिला कि रामलाल दिल्ली–साबरमती आश्रम एक्सप्रेस में सफर कर रहा है।सावर थाना पुलिस तुरंत अजमेर पहुंची और जीआरपी अजमेर की मदद से रेलवे स्टेशन पर उसे पकड़ लिया। पूछताछ में सच उगल दिया— ‘रेप केस से बचने को रचा था पूरा ड्रामा’ पूछताछ में रामलाल ने कबूल किया कि उसके खिलाफ दर्ज बलात्कार मुकदमे से बचने के लिए उसने सुसाइड का पूरा सीन बनाया।
नदी में कूदने का भ्रम पैदा करने के लिए उसने बाइक, फोटो, आधार कॉपी और सुसाइड नोट पुलिया पर छोड़ दिया और फरार हो गया। पुलिस ने उसे भारतीय न्याय संहिता की धारा 170 के तहत गिरफ्तार किया और परिजनों को सूचना दे दी है। आगे की जांच जारी है। जिन अधिकारियों की मेहनत से खुला पूरा खेल इस कार्रवाई में सावर थानाधिकारी राधेश्याम चौधरी, कांस्टेबल भंवरलाल, शिवप्रकाश, मुकेश और घनश्याम की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

Post a Comment