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केकड़ी में संपत्ति विवाद पर न्यायालय का अहम फैसला: पुश्तैनी जमीन पर शिशपाल जाट का हक कायम, 2009 और 2014 के विक्रय पत्र अवैध घोषित

केकड़ी अपर जिला एवं सेशन न्यायालय ने ग्राम मण्डा में स्थित शिशपाल जाट की पुश्तैनी जमीन पर उनके हक को बहाल करते हुए ऐजन जाट और अन्य के खिलाफ विक्रय पत्र निरस्तीकरण का आदेश दिया है। न्यायाधीश प्रवीण कुमार वर्मा ने खसरा नंबर 38, 39, 40, 41, 550/851, 558 पर आधारित इस जमीन से जुड़े 30 नवंबर 2009 और 14 अगस्त 2014 के विक्रय पत्रों को अवैध, प्रभावहीन और शून्य घोषित किया। इसके अलावा इन विक्रय पत्रों से जुड़े नामांतरण और विरासत के नामांतरण को भी अमान्य कर दिया गया है।


मामले का विवरण इस प्रकार है कि शिशपाल जिनका प्रतिनिधित्व उनके अधिवक्ता विष्णु कुमार साहू ने किया ने आरोप लगाया कि ऐजन, सुगना, गोपाल और बदाम देवी जाट ने षड्यंत्र के तहत राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से उनकी पुश्तैनी जमीन (ग्राम मण्डा, तहसील केकड़ी) को हड़पने की कोशिश की। अदालत ने उनके तर्कों को मानते हुए यह निर्णय सुनाया कि संबंधित विक्रय पत्र और नामांतरण कानूनन अमान्य हैं।

न्यायालय ने ऐजन जाट, सुगना जाट, गोपाल जाट और बदाम देवी जाट को स्थाई निषेधाज्ञा जारी करते हुए उन्हें और उनके परिवार को इस जमीन (खसरा नंबर 38, 39, 40, 41, 550/851, 558) पर किसी भी प्रकार का कब्जा, उपयोग या बेदखल करने की कार्यवाही से रोका है। इसके अलावा, संबंधित उपपंजीयक को निर्देश दिया गया है कि इस जमीन से जुड़े किसी भी नए दस्तावेज का पंजीयन न किया जाए। शिशपाल जाट के वकील विष्णु कुमार साहू ने इसे न्याय की जीत बताते हुए कहा कि यह फैसला पुश्तैनी संपत्तियों पर हो रहे अवैध कब्जों के खिलाफ एक मिसाल बनेगा और लोगों में न्याय व अधिकार की बहाली के तौर पर देखा जा रहा है।


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