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मोह, ममता और आसक्ति से मुक्ति: आत्म सुधार का संदेश- आचार्य सुंदर सागर महाराज

केकड़ी- संसारी जीव अनादि काल से सृष्टि में भ्रमण करता हुआ मनुष्य पर्याय के को प्राप्त कर लेता है लेकिन उसे पता नहीं है कि मैं कौन हूं कहां से आया कहां मुझे जाना है भूतकाल में मृत्यु को प्राप्त कर मानव जीवन पा लिया भविष्य में क्या होगा इसका पता नहीं लेकिन वर्तमान में भी अपने निज स्वरूप को नहीं पहचान पा रहा है । जिन शासन चिंता करने का नहीं अपितु चिंतवन करके धर्म के प्रति आसक्ति  बढ़ाने का मार्ग है और आत्म कल्याण कर सकता है । जब तक मोह, ममता, माया, आसक्ति, राग को नहीं छोड़ेंगे तब तक आत्मानुशासन का मोक्ष मार्ग असंभव है मानव जीवन अनमोल है इसको कौड़ियों के भाव नही बंचना चाहिए , अपितु धर्म के प्रति आस्था भाव रखते हुए निज आत्म कल्याण का भाव बनाना चाहिए ।पांडुक शिला स्थित ऋषभदेव जिनालय में आचार्य सुंदर सागर महाराज ने अपने धर्मोपदेश में धर्म सभा में कहे।


धर्म सभा में आर्यिका सुलक्षणा माताजी ने कहा कि मानव ने पूरा जीवन अपने साथी को ढूंढने में निकाल लिया लेकिन सच्चे साथी की खोज नहीं कर पा रहा है । सच्चा साथी मिल भी जाता है लेकिन निश्चित होकर निष्पक्ष होकर अपेक्षा रहित धर्म के निज स्वरूप को साथी नहीं बन पा रहा है । उपकारी का उपकार भूलना महा पाप है । सुख में तो धर्म को भूल जाता है लेकिन दुख आने पर धर्म ज्ञान की ओर लग जाता है । साधु संत की वाणी से आत्म जागृत हो जाती है सुख संपत्ति में कभी भी धर्म को भूलने की चेष्टा नहीं करना चाहिए वह कभी भी दुख का कारण बन सकता है जिसने देव शास्त्र गुरु के प्रति श्रद्धा भाव बना लिए उसे कभी भी कष्ट सहन नहीं करना पड़ेगा।


प्रातः जिनाभिषेक, शांतिधारा, जिनेंद्र अर्चना आचार्य ससंघ एवं मुनि अनुपम सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में धार्मिक क्रियाओं के साथ संपन्न हुए । मीडिया प्रभारी रमेश जैन ने बताया कि आचार्य के पाद प्रक्षालन ओमप्रकाश, ताराचंद, प्रेमचंद, पुनीत कुमार बड़ला परिवार ने एवं शास्त्र भेंट करने का राजेंद्र कुमार, पारस कुमार, महेंद्र कुमार जैन कोटा ने सौभाग्य प्राप्त किया। समाज मंत्री कैलाश जैन ने बताया कि शाम को आरती, भक्ति, जिज्ञासा समाधान आचार्य ससंघ के सानिध्य में श्री नेमीनाथ मंदिर में संपन्न हुए। बाहर से आगरा, भीलवाड़ा, मालपुरा से पधारे धर्मावलबिंयों ने दर्शन लाभ प्राप्त किया । धर्म सभा का संचालन भागचंद जैन द्वारा किया गया, मंगलाचरण अजय जैन आगरा द्वारा किया गया।

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