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स्वास्थ्य, साधना और संकल्प: नींबू पानी और शहद के सहारे सात दिन की पदयात्रा, केकड़ी से सांवलियाजी तक का सफर

केकड़ी- संकल्प की शक्ति का अनूठा प्रयोग और परिचय देती हुई सैकड़ो श्रद्धालुओं की उपवास आधारित पदयात्रा का आगाज केकड़ी में बड़े ही जोश खरोश के साथ रविवार सुबह हुआ। 7 दिन तक चलने वाली यह पदयात्रा सांवलिया सेठ के मंदिर पहुंचकर पूर्ण होगी। इन 7 दिनों में यह सारे पदयात्री आहार के रूप में सिर्फ नींबू पानी और शहद लेंगे, वह भी दिन में सिर्फ दो बार। रविवार सुबह पदयात्रा का विधिवत्त आरंभ घंटाघर स्थित निर्मलेश्वर महादेव के मंदिर पर दर्शन और पूजा अर्चना के साथ हुआ। 

पदयात्रा के मार्गदर्शक एवं इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर साइंटिफिक स्पिरिचुअलिज्म मेरठ के डॉ गोपाल शास्त्री और पदयात्रा के सूत्रधार ख्यातनाम कवि बुद्धि प्रकाश दाधीच की अगवाई में पदयात्री जोश खरोश के साथ नाचते गाते रवाना हुए। पदयात्रा बिजासन माता मंदिर और निकट स्थित हनुमान मंदिर पहुंची। यहां से आगे बढ़ी और जगह-जगह पलक पावडे बिछाते हुए पद यात्रियों का स्वागत करने के लिए लोग आतुर रहे। पुष्प वर्षा से रास्ते भर में फूलों की चादर बिछ गई। शहर के बाहर निकलने पर पहला स्टॉपेज कादेड़ा रोड पर अशोक पारीक फार्म हाउस पर आया जहां पर श्रद्धालुओं ने नींबू पानी और शहद ग्रहण किया। इस अवसर पर बढ़ते कदम गौशाला संस्थान के अध्यक्ष अशोक पारीक की अगुवाई में सभी श्रद्धालुओं का पुष्प वर्षा करके और माल्यार्पण कर जोरदार स्वागत किया गया। यहां पर उपवास के महत्व की चर्चा की गई। कादेड़ा पहुंचने के दौरान पदयात्रा का मार्ग में चंद्रप्रकाश दुबे, ब्राह्मण महासभा के पदाधिकारी डॉ अविनाश दुबे के द्वारा स्वागत हुआ। वही दामोदर सैनी, भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष सत्यनारायण प्रजापति ने भी जोरदार स्वागत किया। उगाई, भराई, खवास, शेषपुरा आदि गांव में उन गांव की ग्रामीणों के द्वारा भी स्वागत किया गया। इस यात्रा के आयोजन में कवि बुद्धि प्रकाश दाधीच, बढ़ते कदम गौशाला संस्थान के अध्यक्ष अशोक पारीक, आनंद सोमानी, महेंद्र प्रधान, अमित गर्ग, मुकेश नुहाल, ओम प्रकाश शर्मा सहित अनेक कार्यकर्ता सेवा में जुटे हैं।


स्वास्थ्य संजीवनी है उपवास डॉ शास्त्री

पदयात्रा के दौरान इस यात्रा के प्रेरक और विशेषज्ञ डॉ गोपाल शास्त्री ने कहा कि सुनने में भले ही बड़ा अजीब लगे की 7 दिन तक सिर्फ नींबू पानी पर पदयात्रा हो रही है लेकिन असल बात यह है कि उपवास ही स्वास्थ्य के लिए संजीवनी का काम करता है बशर्ते वह उचित तरीके से किया गया हो। पदयात्रा लोगों में उपवास को लेकर भ्रांति तोड़ने व उन्हें जागरूक करने का माध्यम है। पदयात्रा के माध्यम से गांव-गांव पहुंचकर यह बताया जाता है कि स्वास्थ्य अत्यधिक भोजन करने में नहीं बल्कि भोजन से विराम लेने में है जो असाध्य से असाध्य रोगों को भी दूर करने में मदद करता है और यह प्रमाणिक बात भी है। हमारे साधकों में से कई लोग ऐसे भी हैं जो जटिल और असाध्य रोगों से उबरकर अब स्वस्थ जीवन जी रहे हैं और उनके स्वास्थ्य का आधार हमारी तप सेवा और सुमिरन पर आधारित जीवन शैली ही है। जिसमें उपवास एक विशेष अंग है। साथ ही अपने आजीविका का 10% भगवान के नाम पर निकलने की प्रेरणा दी जाती है अर्थात दशांश निकालने का जो वैज्ञानिक सिद्धांत है उसके प्रति भी लोगों को जागरूक किया जाता है। ईमानदारी से हमें अपनी आय का 10% भगवान के निमित्त निकालना चाहिए और भगवान की प्रेरणा से ही उसको वहां खर्च करना चाहिए। हमारी साधना पद्धति में हम बताते हैं कि भोजन दिन में एक बार करना होता है। सुबह के सत्र में पत्तियों का जूस और भोजन के रूप में फलों और कच्ची सब्जियां का आहार किया जाता है। शाम को पक्का भोजन किया जाता है। हमारी साधना पद्धति में उपवास भी एक अहम बिंदु है वर्ष भर में 7 दिन की उपवास आधारित पैदल यात्रा हमारी संस्था के माध्यम से संचालित की जाती है।


सात को सांवरिया सेठ पहुंचकर पूर्ण होगी पदयात्रा

पदयात्रियों द्वारा सात दिन तक पैदल चलकर स्वास्थ्य रूपी संजीवनी के द्वारा जीवनी शक्ति को प्रबल किया जाएगा। यह पैदल यात्रा कादेड़ा, बीड के बालाजी, शाहपुरा, मिन्डोलिया, महुआ कला, भीलवाड़ा, क्यारा के बालाजी पुर, नौगांवा, राशमी, कपासन शनि महाराज मंदिर होती हुई 7 दिसंबर को चित्तौड़गढ़ जिले में मण्डफिया स्थित प्रसिद्ध धर्मस्थल सांवलियाजी मंदिर पहुंचकर पूर्ण होगी। इस पदयात्रा में राजस्थान के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश के साधक भी शामिल है। समापन पर सांवलियाजी मंदिर में भगवान सांवलिया सेठ के दर्शन के बाद सभी साधक गरम सब्जी के सूप के साथ अपने व्रत-उपवास का पारणा करेंगे।


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