समाज से बहिष्कार कर मानहानि व रुपये हड़पने का मामला: कोर्ट ने दिए एफआईआर दर्ज करने के आदेश
केकड़ी- केकड़ी न्यायालय में समाज से बहिष्कृत कर मानहानि करने और 1.50 लाख रुपये हड़पने के आरोप में दो अलग-अलग मामलों में कोर्ट ने संबंधित थाना प्रभारियों को एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं।
पहला मामला सावर निवासी भूरा पुत्र देवा माली का है, जिसने अपने अधिवक्ता अर्जुन सिंह शक्तावत के माध्यम से न्यायालय श्रीमान न्यायिक मजिस्ट्रेट, केकड़ी में परिवाद पेश किया। परिवाद में बताया गया कि गंगाराम पुत्र धन्ना माली (सावर), रामराज माली पुत्र मोहन माली (सावर), बद्री बाथरा पुत्र रामकिशन माली (केकड़ी), गिल्लूराम माली पुत्र काना माली (केकड़ी), अशोक पुत्र गोकुल (बस्सी), बृजराज बिधा (केकड़ी), कालू पुत्र बजरंग माली (नयागांव), बजरंग पुत्र गजानंद माली (पारा), बिरदीचंद पुत्र छीतर माली (केकड़ी) सहित अन्य ने समाज की मीटिंग बुलाकर परिवादी पर दबाव डाला कि वह अपनी जमीन का आधा हिस्सा गंगाराम के नाम कर दे। जब परिवादी ने इनकार किया तो उसे समाज से बहिष्कृत करने की सार्वजनिक घोषणा की गई। यही नहीं, ₹1.5 लाख नकद राशि भी यह कहकर ले ली गई कि यदि वह बात नहीं मानेगा तो राशि जप्त मानी जाएगी। बाद में ना जमीन दी गई और ना ही पैसा लौटाया गया। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए भारतीय न्याय संहिता की धारा 190, 196(1), 308(2), 61(2), 351(2), 356(2) के तहत सावर थाना पुलिस को मुकदमा दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं।
दूसरे मामले में लसाड़िया निवासी कैलाश पुत्र छोटू माली ने अधिवक्ता अर्जुन सिंह शक्तावत के माध्यम से न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रमांक 1, केकड़ी में परिवाद प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि जीवराज माली पुत्र शिवनारायण, हीरालाल माली पुत्र कल्याण, कानाराम माली पुत्र गोपाल (सभी लसाड़िया), गिल्लूराम माली पुत्र काना माली, ब्रजराज बीधा, बद्री बाथरा (सभी केकड़ी) और हरि पुत्र गोपाल (लसाड़िया) ने एक तथाकथित समाज मीटिंग कर उसकी जमीन को हथियाने की साजिश रची। बात न मानने पर समाज से बहिष्कार, पारिवारिक और सामाजिक आयोजनों से बाहर करने और ₹5 लाख के दंड की धमकी दी गई। इस मामले में केकड़ी शहर थाना पुलिस ने न्यायालय के आदेश पर FIR संख्या 256/2025 दर्ज कर ली है और जांच प्रारंभ हो चुकी है।
दोनों मामलों में समानता यह है कि समाज के नाम पर मीटिंग आयोजित कर लोगों पर दबाव डालकर जमीन हड़पने, जबरन राशि वसूलने और सामाजिक रूप से अपमानित करने जैसे आरोप सामने आए हैं। कोर्ट ने इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया है कि समाज या जातिगत मंचों का दुरुपयोग कर कानून से ऊपर कोई नहीं हो सकता।
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