मरणोपरांत नेत्रदान कर दूसरों को रोशनी देने आगे आया सोमानी परिवार
केकड़ी। शहर के एक समाजसेवी परिवार ने अपने प्रियजन के निधन के बाद उनकी आंखें दान कर दो लोगों के जीवन में नई रोशनी देने का प्रेरणादायक कार्य किया है। समय पर जागरूक पहल के कारण मृत्यु के तीन घंटे के भीतर अजमेर आई बैंक की टीम को नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी करवाई गई, जिससे दोनों नेत्र संरक्षित कर लिए गए हैं और शीघ्र ही दो व्यक्तियों को प्रत्यारोपण के माध्यम से दृष्टि प्रदान की जाएगी।
शास्त्री नगर निवासी बढ़ते कदम गौशाला संस्थान के व्यवस्था प्रमुख एवं समाजसेवी आनंदीराम हरिराम सोमानी की माता भंवरी देवी सोमानी का शनिवार रात लगभग 11:30 बजे घर पर आकस्मिक निधन हो गया। भंवरी देवी की अंतिम इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनकी आंखें किसी जरूरतमंद को रोशनी दें। उनकी इस इच्छा से प्रेरित होकर परिवार ने तुरंत नेत्रदान हेतु सहमति दी।सूचना मिलते ही अजमेर नेत्र विभाग के डॉ. भरत कुमार शर्मा एवं कुलदीप सिंह की टीम केकड़ी पहुंची। टीम ने सभी दस्तावेजी formalities पूरी कर घर पर ही नेत्र प्रत्यारोपण हेतु सुरक्षित रूप से दोनों आंखें प्राप्त कीं, जिन्हें वर्तमान में आई बैंक अजमेर में संरक्षित किया गया है। इससे पूर्व भी आनंदीराम सोमानी ने तीन वर्ष पूर्व अपने पिता स्वर्गीय शिवजीराम सोमानी की आंखें दान की थीं, जिनसे दो व्यक्तियों को नई दृष्टि मिली थी।नेत्रदान की प्रक्रिया के दौरान बढ़ते कदम गौशाला के अमित गर्ग, कैलाश जैन, रामगोपाल सैनी, बद्री बसेर, नंदकिशोर राठी सहित परिवारजन मौजूद रहे।
आप भी बन सकते हैं जीवनदाता
विशेषज्ञों के अनुसार मृत्यु के बाद आंख सहित कई अंग जरूरतमंद व्यक्तियों को नई जिंदगी दे सकते हैं। इसके लिए मृत्यु उपरांत व्यक्ति के सिर को दो तकियों पर रखकर, आंखों पर गीली पट्टी रखें और पंखा बंद कर दें। इसके बाद तत्काल निकटतम आई बैंक को सूचना दें, जहां टीम आकर पूरी प्रक्रिया पूर्ण करती है।

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