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केकड़ी जिले से टोडारायसिंह की पंचायतों को हटाकर टोंक में जोड़ने की मांग बढ़ी

केकड़ी 2सितंबर 2024- टोडारायसिंह के उपखंड क्षेत्र में हाल ही में किए गए ग्राम पंचायतों के विभाजन को लेकर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिला। क्षेत्र की 31 ग्राम पंचायतों को टोंक और केकड़ी जिलों में बांटने के फैसले के विरोध में आज शहर में सांकेतिक बंद रखा गया। इस फैसले के विरोध में व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे और लोगों ने एक रैली निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया।


सांकेतिक बंद और रैली

शहर के माणक चौक बाजार में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और व्यापारी इकट्ठे हुए। सांकेतिक बंद का आयोजन करते हुए, उन्होंने एक जुलूस निकाला जो एडीएम कार्यालय तक पहुंचा। इस दौरान पूरे शहर में सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि क्षेत्रवासियों में इस निर्णय को लेकर गहरा असंतोष है। 

मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा

रैली के समापन पर उपखंड कार्यालय में क्षेत्रवासियों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में स्पष्ट मांग की गई कि टोडारायसिंह उपखंड की 11 पंचायतों सहित 20 अन्य ग्राम पंचायतों को केकड़ी जिले से मुक्त कर वापस टोंक जिले में शामिल किया जाए। ज्ञापन में कहा गया कि उपखंड का इस तरह विभाजन न केवल क्षेत्रवासियों के लिए असुविधाजनक है, बल्कि यह स्थानीय विकास और प्रशासनिक सुविधाओं में भी बाधा उत्पन्न करेगा।

क्षेत्रवासियों का आक्रोश

क्षेत्रवासियों का कहना है कि टोडारायसिंह उपखंड की पंचायतों को टोंक और केकड़ी जिलों में बांटने से लोगों के लिए प्रशासनिक सेवाओं तक पहुंच कठिन हो जाएगी। लोगों ने कहा कि इस निर्णय से क्षेत्र की पहचान और उसकी प्रशासनिक इकाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो आने वाले दिनों में यह विरोध और उग्र रूप ले सकता है।

व्यापारी वर्ग का समर्थन

सांकेतिक बंद के दौरान स्थानीय व्यापारियों ने भी इस विरोध में अपना समर्थन दिया। व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर यह संकेत दिया कि वे भी इस निर्णय से नाखुश हैं और वे प्रशासनिक पुनर्गठन के खिलाफ हैं।

सरकार से पुनर्विचार की मांग

विरोध करने वालों ने सरकार से अपील की है कि इस विभाजन पर पुनर्विचार किया जाए और टोडारायसिंह उपखंड को पुनः टोंक जिले में शामिल किया जाए। उनका मानना है कि टोडारायसिंह का केकड़ी जिले में शामिल होना स्थानीय निवासियों की सुविधा और विकास को प्रभावित करेगा, इसलिए इसे पूर्ववत टोंक जिले में रखा जाना चाहिए।

आगे की रणनीति 

विरोध प्रदर्शन के बाद क्षेत्रवासियों ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर उनकी मांगों पर जल्द ही सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो वे और भी बड़े स्तर पर आंदोलन करने के लिए तैयार हैं।

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