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गुरु, भक्ति और सम्यक आचरण से जीवन में मोक्ष मार्ग की प्राप्ति- मुनि अनुपम सागर महाराज

केकड़ी- सिद्धों की आराधना पूजन भक्ति सिद्धालय की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती है । श्रावक अष्ट मूल गुणों से सम्यक्त्व  की प्राप्ति हेतु परिणाम में निर्मल भाव  बनाकर अपने लक्ष्य को पा सकते हैं । देवाधिदेव के चरणों में अपने द्वारा की गई प्रभु भक्ति  से कर्मों का नाश कर सिद्ध पर पद पा लेता है । भावों में की गई भक्ति भव्यातीत बना देती है । पूजा ऐसी करें कि पूज्य बन जाए जीवन में गुरु ही सब मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है । गुरु के बिना कुछ भी नहीं कर सकते । णमोकार महामंत्र हमारा सबसे बड़ा गुरु है । जबरदस्ती से किया गया धर्म कार्य कभी भी आगे नहीं बढ़ा सकता है । धर्म कार्य हमेशा जबरदस्त होकर करना चाहिए । प्रभु, गुरु व राजा की पास कभी भी बिना द्रव्य के खाली हाथ नहीं जाना चाहिए । मनुष्य गति में ही देवाधिदेव बनने की क्षमता है । एक त्रियंच गति का जीव मेंढक भी अपनी प्रभु भक्ति  के परिणाम से मनुष्य पर्याय को प्राप्त कर मोक्ष को प्राप्त कर लेता है । प्रभु की पूजा, गुरु को दान और अपने संतान के लिए कभी भी नौकर चाकरों से नहीं करवाना चाहिए । स्वयं को धर्म कार्य में लगाकर दूसरों को भी धर्म कार्य में लगाने की प्रेरणा स्रोत बने। घंटाघर स्थित श्री आदिनाथ मंदिर में आयोजित सत्यार्थ बोध पावन वर्षा योग के अवसर पर अष्टान्हिका पर्व में आयोजित श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान के अवसर पर आयोजित धर्म सभा में मुनि श्री अनुपम सागर महाराज ने अपने धर्मोपदेश में कहे ।


 प्रातः जिनाभिषेक, शांति द्वारा दैनिक जिनेंद्र पूजन सहित मुनि ससंघ के सानिध्य एवं पंडित मनोज जी जैन शास्त्री बगरोही (शाहगढ़) एवं पंडित अंकित जी जैन शास्त्री टीकमगढ़ के निर्देशन में सुमधुर संगीत के साथ आठ दिन के सिद्ध चक्र महामंडल विधान के आगे श्रीफल सहित अर्घ समर्पित किए गए । मीडिया प्रभारी रमेश जैन ने बताया कि श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान के पुण्यार्जक ओमप्रकाश, मुन्ना देवी, विनोद कुमार, प्रिंस मित्तल देवगांव  परिवार में सौभाग्य प्राप्त किया । इसी परिवार द्वारा आचार्य के चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन, प्राद प्रक्षालन, शास्त्रभेंट का सोभाग्य प्राप्त किया । दिलीप जैन ने बताया कि शाम को आरती, भक्ति एवं स्वाध्याय सभा का कार्यक्रम संपन्न हुआ। धर्म सभा का संचालन के.सी. जैन द्वारा किया गया


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