जब दादी और पोते जैसे रिश्ते ने साथ बैठकर रचा साक्षरता का इतिहास, और तख्ती-किताब फिर बनी उम्मीद की शुरुआत
रविवार की सुबह कुछ खास थी। कहीं सिर पर चुनरी बांधे दादी परीक्षा केंद्र की ओर बढ़ रही थीं, तो कहीं हाथ में कलम थामे दादा जी की आँखों में नए भविष्य की चमक थी। कोई पहली बार पेन पकड़े हुए था, तो किसी ने उम्र की परवाह किए बिना किताबों से दोस्ती कर ली थी। केकड़ी ब्लॉक के ऐसे ही 1268 लोगों ने "उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम" के तहत साक्षरता की ओर पहला पक्का कदम बढ़ाया। यह केवल एक परीक्षा नहीं थी—यह उम्मीदों, आत्मविश्वास और बदलते भारत की तस्वीर थी। आइए, जानते हैं इस अनोखी परीक्षा की कहानी, जहाँ शिक्षा बनी उत्सव, और हर उम्र का इंसान बना उसका भागीदार…
केंद्र सरकार की पहल उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत रविवार को केकड़ी ब्लॉक में एक प्रेरणादायक दृश्य देखने को मिला, जब 15 से 80 वर्ष की आयु वर्ग के कुल 1268 निरक्षर नागरिकों ने साक्षरता परीक्षा में भाग लिया। इनमें 370 पुरुष एवं 898 महिलाएं शामिल रहीं। यह परीक्षा केकड़ी ब्लॉक के 80 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई।
कार्यक्रम के ब्लॉक साक्षरता कोऑर्डिनेटर रामनारायण पांचाल ने जानकारी देते हुए बताया कि इस अभियान का उद्देश्य उन वयस्कों को शिक्षा से जोड़ना है, जो अभी तक अशिक्षा के कारण सामाजिक और डिजिटल जीवन में पिछड़ गए थे। उन्होंने कहा कि यह परीक्षा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि एक उम्मीद और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदम है।
परीक्षा केंद्र सापुन्दा का निरीक्षण मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (CBEO) विष्णु शर्मा एवं कोऑर्डिनेटर रामनारायण पांचाल ने किया। विद्यालय की संस्था प्रधान श्रीमती संतोष विजयवर्गीय ने बताया कि इस परीक्षा की विशेष बात यह रही कि 75 वर्षीय भूरी देवी गुर्जर ने अपने पौत्र के साथ परीक्षा में भाग लिया और शिक्षा के प्रति अपनी ललक का परिचय दिया। इसी तरह 78 वर्षीय किशन गुर्जर, निवासी निमोद, सबसे वरिष्ठ प्रतिभागी रहे जिन्होंने आत्मविश्वास से परीक्षा दी।
इस सफल आयोजन में ब्लॉक के अध्यापक पृथ्वीराज सिंह गौड़, विकास शर्मा सहित सभी शिक्षकों एवं स्टाफ सदस्यों ने सराहनीय योगदान दिया। कार्यक्रम का संचालन एवं समन्वय मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी श्री विष्णु शर्मा के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।





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